Blog : आलोचना का भी करें प्रबंधन

चाणक्य ने कहा है "मूर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता और स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त नहीं होता। आलोचक के आक्षेप तुम्हारे प्रतिकूल नहीं होते।"

Showing posts with label लोकसभा2014. Show all posts
Showing posts with label लोकसभा2014. Show all posts

Wednesday, February 6, 2013

राहुल गांधी बने महादेव और सोनिया लक्ष्मीबाई!

राहुल गाँधी ने कुछ दिन पहले "सत्ता जहर है" वाला बयान दिया था, अब कांग्रेसियों ने उन्हें "नीलकंठ" के रूप में दिखाने वाला पोस्टर लगाया है. क्या मतलब है इसका ? क्या सत्ता का जहर राहुल के गले में अटक गया है, या वो सत्ता का जहर निगल भी नहीं रहे हैं और उगलना भी नहीं चाहते ?
कुछ कांग्रेसी समर्थकों ने कुम्भ में विवादित चित्र लगाए हैं. कुंभ क्षेत्र में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के दो विवादित पोस्टरों ने मामले को और गरम कर दिया| कांग्रेस के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने कुंभ क्षेत्र में दो विवादित पोस्टर लगाए हैं| एक पोस्टर पर राहुल गांधी की तुलना नीलकंठ महादेव से की गई है तो दूसरे में सोनिया गांधी को रानी लक्ष्मी बाई के रूप में दर्शाया गया है| दोनों ही पोस्टरों को मेले क्षेत्र में प्रशासन की अनुमति के बिना लगाया गया है| संगम क्षेत्र में प्रवेश करते ही अखाड़ों के प्रवेश द्वार पर इलाहाबाद के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने एक पोस्टर में राहुल गांधी को भगवान शंकर का रूप दे दिया है| इसमें एक तरफ राहुल नज़र आ जायेंगे, दूसरी तरफ भगवान शिव की तस्वीर है| उनके माथे पर तीसरी आंख बनाई गई है | उनके गले के हिस्से को नीले रंग से दर्शाते हुए उनकी तुलना नील कंठ भगवान से की गई है| तस्वीरों के ठीक नीचे लिखा गया है कि सत्ता में जहर है, ठीक है और जो जहर पीता है' वही नीलकंठ होता है'| आगे लिखा है कि "उठा लो हलाहल और शंकर हो जा"| इस होर्डिंग को लगाने वाले कांग्रेस के स्थानीय नेता बाबा अभय अवस्थी का कहना है कि जिस तरह से बिना मतलब के पिछले तीन दिन से बीजेपी के लोग धर्म क्षेत्र को राजनैतिक अखाड़े में तब्दील कर रहे हैं उसी तरह हम भी चाहते हैं कि राहुल गांधी जन कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करें और यहां कुंभ क्षेत्र में आएं| और इसी तरह से कुछ महिना पहले रामलीला मैदान में भी कांग्रेसी लोगों ने सम्मेलन किया था वहाँ पर भी रामलीला मैदान दिल्ली की मस्जिद वाली साईड में सोनिया गाँधी को माँ भवानी के रूप मे दिखाया गया था याद है की आप लोग भूल गए हिन्दू लोगों को भूलने की बिमारी ज्यादा होती है. रामलीला मैदान की वो फोटो सबसे पहले संजय सिंह जी व महावीर प्रसाद जी सोशल मिडिया राष्ट्रवादीयों ने अपने कैमरे में खिंची थी वही पर इलाहाबाद में ये कांग्रेसी लोगों ने महादेव शंकर को अपमानित किया है. वाह रे कांग्रेसियोंए बहुत ही कमाल के लोग होए एक तरफ तो हिन्दुओ को आंतकवादी कहते होए दूसरी तरफ हिन्दुओ के देवी ओर देवता की जरिये वोट मागते होए रानी लक्ष्मी बाई का भी नाम बदनाम करते हो, जिसने हिन्दुओ के लिये आखरी दम तक लड़ा था. तुम कांग्रेस ओर तुम्हारी मां ओर तुम्हारा ये भाई कब तक हिन्दुओ को वेवकूफ बनाओगे ये तो अब आने वाला समय ही बतायेगए दोगले लोग है ये मेरे भइयों अब भी अगर आप लोगो की आंख नही खुली तो समझ लो हिन्दुस्तान को लुटा कर ही रहेगा. ये तीनमूर्ति हमे कही का भी नही छोड़ेगेए अब भी समझ जाओ. अभी भी वक्त हैए सब कुछ तो लुट चुका है. जो थोड़ा बहुत बाकी है इसे तो मत लूटने दो, मेरी आप लोगो से निवेदन है की किसी तरह से हिन्दुस्तान को पाकिस्तान जैसा हाल ना होने दो. ये मामला इस बार इलेक्ट्रिक मीडिया ने अभी तक नहीं दिखाया है ये लोग आज भी हमारे सर पर बैठकर हिन्दूऔ के जबरदस्ती देवता बनकर बैठे है कल ये चुनाव में होंगे और हमने या आपके परिवार वालों ने पिछले वर्षों की तरह गलती से भी वोट दे दिया तो आप लोगों अपने घर में देवताऔ की नहीं इन इटली वाले खानदान की पूजा करनी होगी.

नरेंद्र मोदी के मामले में कांग्रेस एनडीए का डीएनए बदलने की फिराक में है

 नरेंद्र मोदी के मामले में कांग्रेस एनडीए का डीएनए बदलने की फिराक में है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम पद के लिए अपनी हवा बनाने में कामयाब हो गए हैं। लेकिन हवा निकालने में माहिर कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति तैयार कर ली है वो है जेडीयू को बीजेपी ओर एनडीए से अलग करना । वह सीधे तो मोदी पर प्रहार नहीं करेगी, लेकिन एनडीए के साथियों की सांसों में जहर घोलकर बीजेपी को बहुत परेशान जरूर करेगी। कांग्रेस की कोशिश है कि कैसे भी करके एनडीए के सहयोगियों को अपने हितों की याद दिलाकर माहौल की रफ्तार को रोका जाए। बीजेपी के साथी दलों के सरोकारों की समझ को बढ़ाया जाए। एनडीए इसी से कमजोर होगा। लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल बाकी है। जो लोग इस आस में बैठे हैं कि चुनाव वक्त से पहले होंगे, अपनी नजर में वे कोई बहुत समझदार सोच के स्वामी नहीं हैं। कांग्रेस इतनी बेवकूफ नहीं हैं, जो रात ढलने से पहले ही अपनी चलती दुकान बंद करके घर बैठ जाए। ऐसा कोई नहीं करता। जो करता है, वो भरता है। अपने अटलजी को ही देख लीजिए, इंडिया शाइनिंग की चकाचौंध में आकर फील गुड के फैक्टर में वक्त से कुछ पहले ही चुनाव मैदान में उतर गए थे। लेकिन मैदान से सीधे घर गए, जो आज तक घर से बाहर नहीं निकले। लेकिन फिर भी बीजेपी में इस बार भी वक्त से बहुत पहले से ही हलचल बहुत तेज है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वक्त से बहुत पहले दावेदारी के केंद्र में आने से कई बार जो सहज नुकसान संभव है, उसकी भरपाई लगभग असंभव हुआ करती है। पर, मोदी तो असंभव में भी संभव की तलाश के लिए माहिर माने जाते हैं। शायद यही कारण है कि वे अभी से तैयार हैं राजनीति में हमेशा कुछ भी बहुत तय नहीं होता। जेडीयू को वैसे भी मोदी के नाम पर शुरू से ही एतराज रहा है। वैसे, नीतिश कुमार यह जानते हैं कि वे अभी इतने बड़े नहीं हुए हैं कि देश उनको पीएम के मामले में गंभीरता से ले। लेकिन मोदी विरोध के जरिए अपने बिहार के अल्पसंख्यकों के दिलों को जीतकर फिर बिहार पर राज करने ने की उनकी मंशा हैं। उधर, एनडीए के संयोजक शरद यादव ने सिर्फ इतना सा, कि – गठबंधन बहुत मुश्किल से बनते हैं, कांग्रेस इस माहौल के बढ़ने का मौका देख रही है अब बीजेपी को चाहिये की वो या तो नितीश को मनाये या फिर जल्दी ही जेडीयू से रिश्ता तोड़े, बिना अपनी लाइन सॉफ किये बीजेपी को कोई फायदा नही होगा.